CORONA का मानव जीवन पर प्रभाव
कोरोनावायरस महामारी के बाद मानव जीवन में होने वाले कुछ सकारात्मक बदलाव क्या हो सकते हैं?
यह महामारी हमारे ग्रह के लिए बहुत सी चीजों को बदल देगी, जिससे हमारे व्यक्तिगत जीवन पर अधिक प्रभाव पड़ेगा। हम सब ने स्वास्थ्य की देखभाल के लिए मास्क पहनना शुरू किया और हमारे खूबसूरत ग्रह को कुछ समय के लिए मानवों के हाथों क्रूरता से छुटकारा मिला।
विश्व में Covid-19 की वजह से हो रहे लॉकडाउन के फलस्वरूप चीन 25% कम ग्रीनहाउस गैस पैदा कर रहा है। लोग घरों से काम कर रहे हैं। विनिर्माण (Manufacturing) सुविधाएं कार्य नहीं कर रही और साधनों की कमी की वजह से कम अनुपयोगी सामग्री (Waste) पैदा हो रही है, जिससे जलवायु परिवर्तन पर सकारात्मक असर पड़ रहा है।
2019 इतिहास में दूसरा सबसे गर्म वर्ष था।
नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी के कारण, वायु की गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद है, जो विश्व स्तर पर 50,000+ लोगों के उम्र को लम्बा करेगा जिनकी लम्बी उम्र की उम्मीद पहले वायु प्रदूषण के नकारात्मक प्रभावों के कारण कम थी।
महामारी पहले ही हमारी आदतों में बदलाव का कारण बन गई है जैसे संसाधनों का अनुकूलतम उपयोग, परिवार के साथ समय की सराहना, काम से परे जीवन और आत्म-साक्षात्कार।
Corona Virus Risk Check Through Application
Particulate Matter 2.5 (हवा में निलंबित ठोस या तरल कण जो मानव स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं) का स्तर चीन में 100 की रेंज में था और लॉकडाउन से पहले मिलन में 150। इन स्तरों में अब 20% की कमी आई है और कोलंबिया विश्वविद्यालय के शोध के अनुसार, लॉस एंजिल्स में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में 50% की कमी आई है।
केवल संयुक्त राज्य अमेरिका में वायु प्रदूषण के कारण हर साल 2 लाख से अधिक लोग मारे जाते हैं।
30 मार्च की हिंदू बिजनेस लाइन रिपोर्ट के अनुसार “जीपीएस निर्माता टॉमटॉम ने कहा कि 2019 की शुरुआत में 71% के मुकाबले मार्च 2020 के अंत में लंदन में ट्रैफिक से भरी सड़कें केवल 15% रह गई हैं। ब्रिटेन की राजधानी का पार्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5) का स्तर लगभग आधा हो गया है जो इस वर्ष ऐसा ही रहेगा”
हम सभी जानते हैं कि इस महामारी का शारीरिक, मानसिक और वित्तीय कल्याण पर प्रभाव बहुत नकारात्मक है। हम सभी इन महामारियों के माध्यम से ही प्रदूषण को नियंत्रित नहीं करना चाहते, बल्कि हमें अपने ग्रह के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
कोरोना महामारी ने निश्चित रूप से हमारे सोचने, बात करने, प्रक्रिया और कार्य करने के तरीके को बदल दिया है। यह बदलाव लंबे समय तक रहेगा !
कोरोनावायरस से मानव जीवन में तृतीय विश्वयुद्ध की शुरुआत | CORONA And World War
तृतीय विश्वयुद्ध कोई हथियारों से लड़े जाने वाला युद्ध नहीं है इसी प्रकार से बायोवेपन के द्वारा लड़ा जाने वाला युद्ध है जिसमें कोई भी आमने सामने नहीं खड़ा होगा और देश के देश बर्बाद हो जाएंगे.
कोरोनावायरस उसी की एक शुरुआत है.
पिछले दो-तीन वर्षों में चाइना और अमेरिका का ट्रेडवार चल रहा है जिसमें इस बात की कोई भी शंका नहीं है कि अमेरिका चाइना की तुलना में अधिक अच्छी स्थिति में है, बल्कि था.
अमेरिका के रवैया के कारण चाइना को बहुत ज्यादा नुकसान नजर आ रहा था और चाइना की स्थिति लगातार डाउन होती जा रही थी.
अपनी जिस स्थिति को चाइना ने वर्षो की मेहनत के बाद बहुत सारी कुर्बानी देने के बाद बनाया है उसे वह ऐसे ही क्यों जाने देगा जबकि चाइना की विश्व की महाशक्ति बनने की इच्छा भी है.
चाइना कितना भी कुछ कर ले लेकिन वह आमने-सामने के युद्ध में अमेरिका के सामने कहीं भी टिकता नजर नहीं आता है.
और पूरी दुनिया पर अमेरिका की बहुत अच्छी पकड़ भी है पूरी दुनिया के अंदर उसके सैनिक अड्डे हैं.
अमेरिका एक बार को विश्वास योग्य करने वाली कंट्री है, लेकिन चाइना बिल्कुल भी विश्वसनीय कंट्री नहीं है चाइना की छवि ही कुछ ऐसी है जो देश अपने नागरिकों को मार सकता है वह किसी का क्या दोस्त बन सकता है.
कोरोना जितना खतरनाक बताया जा रहा है अब बातें निकल कर आ रही है कि यह इतना खतरनाक वायरस नहीं है जितना खतरनाक उसे चीन ने दिखाने की कोशिश की है.
चाइना अपने यहां की कोई भी खबर बाहर नहीं निकलने देता है
लेकिन चाइना ने बुहान की खबरों को बढ़ा चढ़ा कर दिखाने की कोशिश की है बहुत सारे वीडियो रिलीज किए हैं जिससे डर का माहौल बना और और बुहान शटडाउन से पहले ही उसने पूरी दुनिया में इसे फैला भी दिया था..
उसने डब्ल्यूएचओ की मदद से जो कि डब्ल्यूएचओ का अध्यक्ष उन्हीं के देश का व्यक्ति है उसकी मदद से पूरी दुनिया में कोरोनावायरस फैला दिया.
और बुहान की तस्वीरें और वीडियो दिखा दिखा कर पूरी दुनिया में डर पैदा किया, जबकि चाइना अपनी छोटी से छोटी खबर को लीक नहीं होने देता है.
यहां तक कि उसने बहार के डॉक्टर को भी अपने देश में आने नहीं दिया अब कोरोनावायरस की जांच चल रही है तो डब्ल्यूएचओ को भी उसने उसमें शामिल नहीं किया. लेकिन वहां से डर बहुत पैदा किया.
डर क्यों पैदा किया ?
क्योंकि डर पैदा होने से विश्व का व्यापार मंदी में आ गया कंपनियों के शेयर 40% तक गिर गए और जिन कंपनियों की मदद से अमेरिका चाइना को बर्बाद करने की कोशिश कर रहा था, चाइना ने लगभग लगभग चाइना की ही उन कंपनियों के शेयर 40% कम दाम में खरीद लिए. Corona ki arthavyavastha par prabhav !
उसका काम हो चुका है
- आपने देखा होगा कि उसका शेयर मार्केट ना के बराबर गिरा
- वहान के अलावा कहीं भी वायरस का Attack नहीं हुआ जबकि वायरस पूरे दुनिया में फैल गया ! बल्कि उसने फैला दिया.
- इतनी तेज गति से फैलने वाला वायरस अगर चाइना में नहीं है. तो इसका मतलब उनके पास पहले से ही इसका टीका मौजूद है.
- चाइना का राष्ट्रपति हाईली इनफेक्टेड एरिया में मात्र एक हल्का सा मास्क लगाकर घूमता है तो इसका मतलब यह है कि उनके पास इसका तोड़ पहले से ही मौजूद था मात्र वह बुहान में इसको फैला कर दुनिया को डराने की कोशिश कर रहा था
- बिजनेस नीचे आ जाए और वह अपनी कंपनियां खरीद ले ताकि अमेरिका उस पर दबाव ना बना सके.
- अपनी एक खबर ना देने वाले चाइना ने बुहान को बढ़ा चढ़ा कर दिखाया जिससे चाइना असहाय नजर आए चाइना का बिजनेस नीचे हो जाए और वह उन सभी कंपनियों को खरीद सके जिनके मालिक अंग्रेज थे और वह उसकी ही कंपनियों के मालिक बन कर उसे आंख दिखा रहे थे और उसे बर्बाद करने की कोशिश कर रहे थे.
- आपको लगा होगा कि चाइना की कंपनियों के मालिक अंग्रेज कैसे, तो इसका सीधा सा जवाब है कि हर कंपनी के शेयर होते हैं उनके पास कंपनियों के शेयर 50% से अधिक है यह उस समय की बात है जब चाइना नया-नया उभर रहा था उसे पैसे की जरूरत थी लोगों ने शेयर खरीद कर पैसा इन्वेस्ट किया.
चाइना ने या चाइना की किसी कंपनी ने 60% शेयर बेंच दिए. कुछ खरीदार अमेरिका के थे, कुछ खरीदार ब्रिटेन के थे, कुछ खरीदार इटली के थे, कुछ फ्रांस के थे, कुछ जर्मनी के थे अलग-अलग देशों के लोगों ने शेयर खरीदे थे लेकिन सब अमेरिका के पंजे में है आप समझ ही गए होंगे कैसे काम चल रहा होगा. चाइना की ही कंपनी, चाइना के खिलाफ ही काम कर रही थी सोचिए मेहनत चाइना की, मात्र पैसा लगाकर मालिक कोई और बन गया और वह भी खिलाफ काम कर रहा है, कैसा लगता है. कोरोना के बहाने उसने 50% से ज्यादा शेयर अपने नाम कर लिए वह भी आधे दामों में. और चाइना ने उन कंपनियों में भी अपना शेयर बढ़ाया है जो उसके यहां काम करती है लेकिन उसकी नहीं है ताकि बिजनेस पर अमेरिका का कब्जा ना रहे. - जैसे ही चाइना ने अपनी कंपनियां खरीद ली या उन कंपनियों में शेयर बढ़ा लिया जिससे उसका मार्केट संभल सके और वह ट्रेड वार में बढ़त हासिल कर सके. उसके तुरंत बाद उसने वायरस कंट्रोल हो गया यह कहकर चाइना को व्यापार के लिए खोलने की बात कह दी. तब तक यह वायरस अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के अंदर कहर बनकर फूट पड़ा है और उनका बिजनेस बर्बाद कर रहा है चाइना दुनिया का बादशाह बन चुका है.
- अब जैसे-जैसे कोरोना की हकीकत सामने आ रही है वैसे ही चाइना की टेलीकम्युनिकेशन कंपनियों ने डर को बरकरार रखने के लिए एक और चाल चली. उन्होंने कहा हमारे यहां दो करोड़ 10 लाख मोबाइल यूजर मिसिंग है. जब चाइना कुल 10000 से कम का आंकड़ा कोरोनावायरस में मरने पर दे रहा है तो क्या ऐसा हो सकता है कि उसकी मर्जी के खिलाफ उसकी कंपनी यह कह सके कि दो करोड़ लोग गायब हो चुके हैं सारा गेम है.
आप डरो कंट्री डरे उनका बिजनेस बर्बाद हो और चाइना नंबर वन की कुर्सी पर बैठ जाए - चाइना का कदम बहुत ही होशियारी भरा है. उसने एक ऐसे वायरस का प्रयोग किया है जो प्राकृतिक है और उसकी आशाओं पर खरा उतरने लायक है ताकि दुनिया यह नहीं कह सके कि जो वायरस पूरी दुनिया के अंदर फैला है उसे लैब के अंदर बनाया गया है. वरना चाइना पूरी दुनिया के अंदर एक अपराधी की तरह नजर आता, कटघरे में खड़ा होता. जिसका उसे काफी नुकसान भविष्य में होता.
CORONA का इलाज है या नहीं | कोरोना की दवा कभी नहीं बनेगी
लोगो के दिमाग में ऐसा विचार जरूर आया होगा की
- corona ka dawa bana ya nahi
- coronavirus ka ilaj mil gaya hai ya nahi
तो हम आपको बता दे की कोरोना वायरस अभी कहीं भी ग़ायब नहीं होने जा रहा है
इस संकट से बच निकलने के रास्ते हैं
1. टीका। दवाई
२ प्रतिरोधक क्षमता का विकास
3. हमेशा घर पर ही रहना।
ये समाप्त होने में बहुत समय लगेगा, शायद सालभर भी लगे.
हमेशा घर पर रहना या सब कुछ बंद करने की नीति लंबे समय तक संभव नहीं है जिसमे सामाजिक और आर्थिक नुक़सान तो तय हैं.
कोरोना इस समय की सबसे बड़ी वैज्ञानिक और सामाजिक चुनौती है.
यद्यपि कोरोना वायरस के टीके पर शोध बहुत ही तेजगति से हो रहा है लेकिन सफल होगा या नहीं और क्या वैश्विक स्तर पर यह सभी को दिया जा सकेगा. यह फिलहाल कहना मुश्किल रहेगा। अगर सही जाता है तो अनुमान है कि साल भर के भीतर यह टीका बन सकता है.